Thursday, March 6, 2014

क्या सत्ता की लालसा में आदमी इतना मंददृष्टि हो जाता है कि उसे अपने सामने का मंज़र भी दिखाई न दे


आदरणीय नरेन्द्र भाई मोदी जी,
इस ऊंचाई पर फ़िसलन भरी राहों पर यात्रा करते समय इतनी लापरवाही ठीक नहीं है, यहाँ तक आते आते आपको बहुत साल लगे हैं, कहीं ऐसा न हो कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी,,,,,,

इस देश की मुझ जैसी आम जनता को इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बने या राहुल गांधी, मुलायम सिंह बने या केजरीवाल,,,कोई भी नेता जनता के भले के लिए अपना टाइम लगाने वाला नहीं है , सबने अपनी पार्टी और अपनी मित्र मण्डली का ही विकास करना है इसके बावजूद मुझ जैसे करोड़ों लोग ये चाहते हैं कि इस बार देश की सत्ता आपको सौंपी जाए तो सिर्फ इसलिए क्योंकि लोगों को अभी विश्वास है कि आप इस देश का खोया हुआ गौरव पुनः स्थापित कर सकते हैं वगैरह वगैरह -

लेकिन डीएनए का कुनबा बड़ा करने की गरज़ से आप और आपकी पार्टी जिन लोगों और पार्टियों से गले मिल रही है, उसे देख कर निराशा होती है - लगता है आपको अब अपने पर और अपने काम के साथ साथ जनता के समर्थन का भरोसा नहीं रहा - किन से हाथ मिला रहे हो ? उनसे जो आजतक किसी के नहीं हुए ? उन्हें साथ लेने के लिए उन्हें छोड़ दोगे जो वर्षों से समर्पित भाव से आपका और आपकी पार्टी का उत्थान कर रहे हैं ?

क्या सत्ता की लालसा में आदमी इतना मंददृष्टि हो जाता है कि उसे अपने सामने का मंज़र भी दिखाई न दे …

हमारे मन की ये तमन्ना है कि आप आगे आओ, परन्तु शान से आओ, अपनी प्रतिभा के बूते पर आगे आओ,,,किसी प्रकार के घटिया समझौतों के दम पर नहीं आओ

शुभकामनाएं
जय हिन्द
अलबेला खत्री